भैया अभिमन्यु ने दिया भाजपा से इस्तीफा, झारखंड मे भाजपा की बढ़ती मुश्किलें
अन्य जिलों से भी कई निष्ठावान कार्यकर्ता भाजपा को अलविदा कह सकते हैं। ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि झारखंड के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों के कई समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ताओं ने पार्टी में अपनी हो रही उपेक्षा जैसी बातों को पत्र के माध्यम से प्रदेश के अध्यक्ष एवं संगठन मंत्री को अवगत कराया है।

भारतीय जनता पार्टी, झारखंड प्रदेश कार्य समिति के सक्रिय सदस्य भैया अभिमन्यु प्रसाद ने प्रांत के विधानसभा चुनाव परिणाम आने के साथ ही भाजपा को अलविदा कह दिया। जबकि बीते लोकसभा चुनाव में उन्हें कोडरमा संसदीय एवं कोडरमा विधानसभा क्षेत्र का चुनाव प्रभारी भी नियुक्त किया गया था। उन्होंने बड़ी लगन व मेहनत कर लोकसभा और विधानसभा दोनों सीटों को भाजपा की झोली में डाल दिया था। हजारीबाग संसदीय क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार मनीष जायसवाल को विजयी बनाने में भी कड़ी मेहनत की थी। उन्होंने भाजपा की नीतियों से नाराज होकर अपने सभी पदों से इस्तीफा क्यों दे दिया ? यह सवाल उठना लाजिमी है। भैया अभिमन्यु प्रसाद, प्रदेश के एक जाने-माने नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल रहे। प्रांत के मुखिया ने उन्हें जो भी जवाबदेही सौंपी, उसका निर्वहन पूरी निष्ठा के साथ पूरा किया । वे बीते तीस वर्षों से भाजपा संगठन को पूरे प्रांत में मजबूत करने के लिए दिन-रात लग रहे थे । झारखंड अलग प्रांत निर्माण के लिए भाजपा संगठन के साथ मिलकर एक मजबूत सिपाही की तरह लगातार लड़ते भी रहे थे । आखिर भाजपा से कौन सी बात को लेकर भैया अभिमन्यु प्रसाद नाराज हो गएं ? अंततः उन्हें भाजपा को अलविदा कहना पड़ा। भैया अभिमन्यु प्रसाद के इस्तीफा की चर्चा प्रदेश भर में हो रही है।
झारखंड चुनाव परिणाम आने के तुरंत ही बात उन्होंने क्यों भाजपा को अलविदा कह दिया ? राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा चल रही है कि झारखंड भाजपा के समर्पित और पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर विधानसभा के चुनाव में अन्य दलों से आए नेताओं को प्राथमिकता दी जा रही है। इसका प्रतिकूल प्रभाव 2024के विधानसभा के चुनाव में भी देखने को मिला। झारखंड विधानसभा के चुनाव में अधिकांश सीटों पर दूसरे दलों से आए उम्मीदवारों को टिकट दिया गया। इस बात को लेकर समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है। कई कार्यकर्ता खुलकर अपनी बातों को अपने संगठन के मित्रों के समक्ष रख रहे हैं । कई कार्यकर्ता मौन साध लिए हैं। भैया अभिमन्यु प्रसाद, हजारीबाग विधानसभा क्षेत्र से आते हैं। उन्होंने हजारीबाग में भाजपा संगठन को मजबूत करने के लिए जी तोड़ मेहनत करते रहे थे। फलस्वरुप अभिमन्यु प्रसाद जैसे सैकड़ो समर्पित कार्यकर्ताओं के चलते पूरे संसदीय क्षेत्र में भाजपा का एक मजबूत संगठन खड़ा हो पाया है। समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर अन्य दलों से आए नेताओं को टिकट दे दिया जाता है। इस बात को लेकर प्रांत के निष्ठावान कार्यकर्ताओं के बीच नाराजगी बढ़ती चली जा रही है ।
राजनीतिक गलियारे में यह भी चर्चा है कि अभी भैया अभिमन्यु प्रसाद ने भाजपा को अलविदा कहा है। अन्य जिलों से भी कई निष्ठावान कार्यकर्ता भाजपा को अलविदा कह सकते हैं। ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि झारखंड के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों के कई समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ताओं ने पार्टी में अपनी हो रही उपेक्षा जैसी बातों को पत्र के माध्यम से प्रदेश के अध्यक्ष एवं संगठन मंत्री को अवगत कराया है। इसके बावजूद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी चुप क्यों है? यह भी समझ से परे है । वहीं दूसरी ओर भाजपा के प्रांत के संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह, जिन पर संगठन को मजबूत करने की जवाबदेही है । इन बातों को जानकर भी अनजान क्यों बने हुए हैं ? अभिमन्यु प्रसाद ने अपना इस्तीफा बाबूलाल मरांडी और कर्मवीर सिंह को सौंपा । उनके इस्तीफे के बाद प्रदेश के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी एवं प्रांत के संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह ने उन्हें पार्टी में स सम्मान रहने के लिए क्या किया ? इस बात की भी चर्चा झारखंड के सभी विधानसभा क्षेत्रों में चल रही है। बाबूलाल मरांडी और कर्मवीर सिंह की चुप्पी से भाजपा को प्रांत में काफी हानी हो रही है।
विचारणीय यह है कि 2024 विधानसभा का चुनाव भाजपा पूरे दमखम के साथ लड़ी । देश के प्रधानमंत्री से लेकर तमाम बड़े नेताओं का आगमन झारखंड में हुआ। ऊपर से केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री लगातार झारखंड के सभी विधानसभा क्षेत्रों में दौरा करते रहे थे। इसके बावजूद झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई । भाजपा कार्यकर्ताओं ने दबी जुबान से यह भी कहा कि निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर प्रदेश नेतृत्व ने अन्य दलों से आए नेताओं को विधानसभा का टिकट दे दिया। जिस कारण कार्यकर्ताओं में रोश है । यहां जानने योग्य बात यह है कि झारखंड विधानसभा के चुनाव में लगभग 81 सीटों में जो मतदान हुआ, उसमें शहरी क्षेत्रों में सबसे कम मतदान हुआ । सर्व विदित है कि भाजपा को शहरी क्षेत्रों से अधिक मत प्राप्त होते थे। जबकि इस बार के चुनाव में शहरी क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत 2019 के चुनाव की तुलना में भी कम रहा। शहरी क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत कम रहने के कारण भाजपा को कम मत पड़े, भाजपा की हार का यह भी एक बड़ा कारण है। इसी वर्ष 2024 में संपन्न हुए लोकसभा संसदीय चुनाव में भाजपा विधानसभा चुनाव से ज्यादा बेहतर इसलिए कर पाई कि कार्यकर्ताओं ने मन लगाकर काम किया। 2024 विधानसभा चुनाव में शहरी क्षेत्रों में भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं के न निकलने के कारण मतदान प्रतिशत में कमी आई। प्रांत के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और प्रदेश के संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह इन बातों को जानकर भी नजरअंदाज किया । जिसका परिणाम यह हुआ कि झारखंड में विधानसभा चुनाव में भाजपा बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई।
सर्वविदित है कि भारतीय जनता पार्टी एक कैडर की पार्टी रही है । आज भाजपा इसी कैडर के बल पर केंद्र की सत्ता में बनी हुई है। देश के प्रधानमंत्री इसी कैडर का एक हिस्सा रहें हैं। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से एक बाल कार्यकर्ता के रूप में की थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में एक प्रचारक रूप में अपनी भूमिका निभाई। भाजपा को लगा कि नरेंद्र मोदी के भाजपा में आने से भाजपा संगठन को मजबूती मिलेगी। उन्हें भाजपा में शरण दिया गया । इसका परिणाम यह हुआ कि भारतीय जनता पार्टी केंद्र की सत्ता में आ पाई। भारतीय जनता पार्टी अपने स्थापना काल से ही एक कैडर की पार्टी के रूप में रही है । ध्यातव्य है कि 21 अक्टूबर, सन 1951 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना देश की राजधानी दिल्ली में की गई थी । श्यामा प्रसाद मुखर्जी, प्रोफेसर बलराज मधोक और दीनदयाल उपाध्याय ने आखिल भारतीय जन संघ की स्थापना की थी । अखिल भारतीय जन संघ, कांग्रेस पार्टी की नीतियों के विरोध में एक नई राजनीतिक पार्टी बनीं थी। अखिल भारतीय जन संघ पार्टी के पंच आधार स्तंभ थे , जिस आधार स्तंभ पर पार्टी आज भी कायम है । अखिल भारतीय जनसंघ ने निम्न पंच सूत्र दिया। हिंदू राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, एकात्म मानववाद, राष्ट्रीय संरक्षणवाद और आर्थिक राष्ट्रवाद । आज भी भारतीय जनता पार्टी इसी पंच सूत्र आधार स्तंभ पर आगे बढ़ रही है ।
भारतीय जनता पार्टी एक कैडर की पार्टी रही है । इसके कार्यकर्ता जमीन से जुड़कर अपनी पार्टी के विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाते रहे हैं। देश की आजादी के बाद जब देश में पहला लोकसभा का चुनाव 1952 में हुआ था। अखिल भारतीय जनसंघ के तीन नेता लोकसभा में मजबूत उपस्थिति दर्ज कर पाए थे । कालांतर में यही जनसंघ, भारतीय जनता पार्टी में तब्दील होकर देश का संचालन कर रही है । ऐसे में झारखंड प्रांत के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह सहित तमाम प्रांत के बड़े नेताओं को जमीनी स्तर से जुड़े नेताओं की निष्ठा पर ध्यान देने की जरूरत है । अगर कार्यकर्ता ही नाराज हो जाएंगे, तब कितना भी मेहनत कर लें, विधानसभा में अपनी मजबूत स्थिति दर्ज नहीं कर सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि भैया अभिमन्यु प्रसाद जैसे समर्पित कार्यकर्ता पार्टी में बने रहें, इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है ।