विश्व पर्यावरण दिवस पर 'शब्दवीणा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन' में जुटेंगे 15 प्रदेशों के रचनाकार, समाज को साहित्य, संस्कृति एवं प्रकृति से जोड़ना है शब्दवीणा के इन आयोजनों का उद्देश्य:- डॉ. रश्मि

विश्व पर्यावरण दिवस पर 'शब्दवीणा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन' में जुटेंगे 15 प्रदेशों के रचनाकार, समाज को साहित्य, संस्कृति एवं प्रकृति से जोड़ना है शब्दवीणा के इन आयोजनों का उद्देश्य

विश्व पर्यावरण दिवस पर 'शब्दवीणा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन' में जुटेंगे 15 प्रदेशों के रचनाकार, समाज को साहित्य, संस्कृति एवं प्रकृति से जोड़ना है शब्दवीणा के इन आयोजनों का उद्देश्य:- डॉ. रश्मि

गयाजी। विश्व पर्यावरण दिवस के मद्देनजर राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था शब्दवीणा की राष्ट्रीय समिति की ओर से आगामी 7 जून को "संकट में है धरती अपनी, आओ पर्यावरण संवारें" विषय पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस कवि सम्मेलन में शब्दवीणा की राष्ट्रीय समिति एवं बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, गोवा आदि प्रदेश समितियों व उनके अंतर्गत गठित विभिन्न जिला समितियों के कवि-कवयित्री गण "आओ पर्यावरण संवारें" शीर्षक के तहत 'जलवायु परिवर्तन', 'प्राकृतिक आपदाएं', 'पर्यावरण संरक्षण' आदि विषयों पर रचित अपनी कविताएँ, मुक्तक, गीत, ग़ज़ल, दोहे एवं कुंडलिया आदि शब्दवीणा आभासी ज़ूम मंच पर प्रस्तुत करेंगे। इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण फेसबुक पर शब्दवीणा केन्द्रीय पेज से किया जायेगा, जिससे जुड़कर देश भर के साहित्यानुरागी कार्यक्रम का आनंद ले सकेंगे।
शब्दवीणा की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने बतलाया कि शब्दवीणा राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का संचालन शब्दवीणा हरियाणा प्रदेश सचिव कवयित्री सरोज कुमार करेंगी। डॉ. रश्मि ने सूचित किया कि आगामी 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर शब्दवीणा की बेगूसराय जिला समिति, बिहार की ओर से भी जिला संरक्षक देवनीति राय एवं जिला अध्यक्ष सत्यजीत सोनू के नेतृत्व में "चलो लगायें मिलकर पौधे" विषय पर तेघड़ा कोचिंग सेंटर, बेगूसराय में एक कवि सम्मेलन का आयोजन प्रस्तावित है। यह एक ज़मीनी कार्यक्रम होगा। इस कवि सम्मेलन का प्रसारण भी शब्दवीणा केन्द्रीय पेज से किया जायेगा। डॉ. रश्मि के अनुसार, विश्व पर्यावरण दिवस पर शब्दवीणा द्वारा प्रस्तावित इन साहित्यिक आयोजनों का उद्देश्य समाज के लोगों को पर्यावरण संकट से परिचित करवाते हुए इसके संरक्षण हेतु यथासंभव प्रयत्न करने हेतु प्रेरित करना है। इन कार्यक्रमों का प्रयोजन समाज को साहित्य, संस्कृति एवं प्रकृति से जोड़ना भी है।