राजनीतिक दलों को उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का ब्योरा सार्वजनिक करना होगा,नहीं तो होगी मुश्किल – चुनाव आयोग
भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा Contempt Petition (C) No. 656 of 2020 के आलोक में निर्वाचन लड़ने वाले उम्मीदवारों के आपराधिक पूर्ववृत्त (Criminal Antecedent ) के संदर्भ में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्देश जारी किये गये हैं।

मिथिलेश कुमार साह (संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, बिहार) ने बिहार के सभी राजनीतिक दलों को पत्र जारी कर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की जानकारी सार्वजनिक करने को कहा है। ग़ौरतलब है कि भारत निर्वाचन आयोग के पत्रांक 3/4/2021 के आलोक में बिहार निर्वाचन आयोग ने बिहार में कार्यरत सभी राजनीतिक दलों को पत्र जारी किया और साथ ही सर्वोच्च न्यायालय का हवाला देते हुए कहा की वैसे सभी उम्मीदवार जिनका आपराधिक इतिहास रहा है, उन्हें सम्बंधित राजनीतिक दल के वेबसाइट पर अपने अपराध से संबंधित सूचना उपलब्ध करनी होगी।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा Contempt Petition (C) No. 656 of 2020 के आलोक में निर्वाचन लड़ने वाले उम्मीदवारों के आपराधिक पूर्ववृत्त (Criminal Antecedent ) के संदर्भ में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्देश जारी किये गये हैं।

निर्देश:
(i) राजनीतिक दलों को स्वयं तय करना है कि किसकी आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में सूचना प्रकाशित करनी है, जिसकी जानकारी देनी है ? उम्मीदवार अपनी पूरी जानकारी वेबसाइट के राजनीतिक दलों के वेब साइट के होमपेज में मुखपृष्ठ पर एक कैप्शन होगा, जिसमें लिखा होगा “आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार” ।जिसमें उम्मीदवार से संबंधित अपराध की सारी जानकारी होगी। ऐसा होने से आम मतदाता के लिए इस तक पहुंचना आसान होगा।
(ii) ECI को एक समर्पित मोबाइल एप्लिकेशन बनाने का निर्देश दिया गया है । जिसमें उम्मीदवारों द्वारा उनके आपराधिक पूर्ववृत्त के संबंध में प्रकाशित सूचना रहेगी , ताकि प्रत्येक मतदाता को उसके मोबाइल फोन पर ऐसी जानकारी मिल सके।
(iii) चुनाव आयोग को हर किसी को जागरूक करने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है । मतदाता को अपने जानने के अधिकार और चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों का आपराधिक इतिहास की जानकारी की उपलब्धता के बारे में जागरूक किया जाय । यह विभिन्न मंच, जिसमें सोशल मीडिया, वेबसाइट, टीवी विज्ञापन, प्राइम टाइम डिबेट, पैम्फलेट आदि में शामिल हैं ।

(iv) इस उद्देश्य के लिए 4 सप्ताह की अवधि के भीतर एक फंड बनाया जाना चाहिए जिसमें अदालत की अवमानना के लिए जुर्माना का भुगतान करने का निर्देश दिया जा सकता है ।
सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्देश के अनुपालन में भारत के चुनाव आयोग ने एक कोष बनाया है, जिसमें अदालत की अवमानना के लिए जुर्माना जमा किया जा सकता है। जुर्माना अकाउंट्स ऑफिसर के नाम से चेक के माध्यम से या पंजाब नेशनल बैंक रसीद खातों में इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से जमा किया जा सकता है । खाता संख्या- 0153002100000180 (खाते का नाम ” collection a/c election commission of india”), IFSC code- PUNB0015300 है । यदि भुगतान इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से किया जाता है तो लेनदेन का विवरण अर्थात् UTR नंबर, बैंक का नाम, लेनदेन की तिथि आदि सूचित किया जा सकता है ।
(v) उपरोक्त उद्देश्यों के लिए, ECI को एक अलग सेल बनाने का भी निर्देश दिया जाता है जो आवश्यक अनुपालनों की निगरानी भी करेगा । ताकि इसमें निहित निर्देशों के किसी भी राजनीतिक दल द्वारा तत्काल गैर-अनुपालन के लिए , न्यायालय को अवगत कराया जा सके।
न्यायालय ने सख़्त हिदायत दी है की यदि कोई राजनीतिक दल इस तरह की अनुपालन रिपोर्ट ECI के साथ प्रस्तुत करने में विफल रहता है, तो ECI राजनीतिक दल द्वारा इस तरह के गैर-अनुपालन को न्यायालय के नोटिस के रूप में लाएगा । जिसे न्यायालय के आदेशों/निर्देशों की अवमानना समझा जाएगा।

संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, बिहार ने बिहार के जिन राजनीतिक दलों को पत्र जारी किया :
- बहुजन समाज पार्टी
- भारतीय जनता पार्टी
- कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इण्डिया
- कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इण्डिया (मार्क्ससिस्ट)
- इण्डियन नेशनल काँग्रेस
- नेशनलिस्ट काँग्रेस पार्टी
- ऑल इण्डिया तृणमूल काँग्रेस
- नेशनल पीपुल्स पार्टी
- राष्ट्रीय जनता दल
- जनता दल (यूनाईटेड)
- लोक जन शक्ति पार्टी
- राष्ट्रीय लोक समता पार्टी
- कम्यूनिष्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्ससिस्ट–लेनिनिस्ट) (लिबरेशन)