इंस्टाग्राम पर बाढ़ - आलोक पुराणिक

इंस्टाग्राम पर बाढ़ - आलोक पुराणिक

एक मित्र फंसे थे बाढ़ में। बाढ़ को बैकग्राउंड में रखकर अपनी सेल्फी पर सेल्फी दाग रहे थे फेसबुक पर। समझ न आ रहा था कि बाढ़ पर रोऊं या उसकी सेल्फी बुद्धि पर हंसू।
एक मित्र गये थे हिमाचल प्रदेश में मनाली से ऊपर ट्रैकिंग करने, बर्फबारी में फंसे,पैर में फ्रैक्चर हुआ। भाई ने फौरन फ़ोटो इंस्टाग्राम और फेसबुक पर अपडेट की एक्सीडेंट की। हेलीकाप्टर पहुंचा बाद में रेस्क्यू को,इंस्टाग्राम पर उनकी एक्सीडेंट वाली तस्वीरें पहले सब जगह पहुंच गयीं। फेसबुक, ट्विटर पर उनकी दुर्घटना-युक्त तस्वीरों पर उनकी उम्मीद थी कि हम लाइक करें।
मैंने शिष्टाचार समझाया-भाई तेरी एक्सीडेंट वाली तस्वीरों को लाइक करने का मतलब तेरे एक्सीडेंट को लाइक करना है। ये बेहूदगी क्यों करवा रहा है।
भाई ने उस अखबार की खबर की कतरन भी व्हाट्सएप पर भेजी जिसमें लिखा था कि हेलीकॉप्टर ने पहली बार 5 लोगों को वहां से रेस्क्यू किया, यह रिकार्ड बना।
यह खबर देखके मैं डरा-अब 6 लोग न चले जायें वहाँ फंसने और रिकॉर्ड बनाने कि अब पहली बार रिकॉर्ड 6 लोग फंसे।
मैंने घायल मित्र से कहा -अच्छा  रहा तुम जहां फंसे वहां टेलीकॉम नेटवर्क था और तुमने सही वक्त पर सबको इन्फॉर्म कर दिया,रेस्क्यू हो गया।
उसने बताया कि अब तो टूर प्रोग्राम बनता ही उस जगह का है जहां टेलीकॉम नेटवर्क सही आता हो। इसीलिये कि फट से अपनी सेल्फी तसवीरें अपलोड हो जायें। दुर्घटना 5.40 मिनट पर हुई और 5 बजकर45 मिनट यानी 5 मिनट में दुर्घटना की तसवीरें अपलोड हो चुकी थीं और करीब 150 लाइक फेसबुक पर आ चुके थे।
रेस्क्यू के लिये जो बंदा हेलीकॉप्टर लेकर गया था,उसने बताया कि रेस्क्यू साइट पर पहुंचने के बाद कई दुर्घटना ग्रस्त बंदे हेलीकॉप्टर पर चढ़ने से पहले जिद करते हैं कि हेलीकॉप्टर के आगे पीछे बीच में सब जगह उनकी फ़ोटो खींची जाये,सोशल मीडिया पर डालनी होती है।
दुर्घटना फ़ोटोजेनिक होनी चाहिए। रेस्क्यू भी फोटोजेनिक हो और कम से कम 1000 लाइक मिलें दुर्घटनावाले फ़ोटो को। सोशल मीडिया ने कमाल कर दिया है। सेल्फी लेने का पॉइंट ऐसा हो जहां पे बेहतरीन एंगल की सेल्फी आये,यह तो चलो समझ आता है। पर दुर्घटना का पॉइन्ट भी ऐसा हो जहां चकाचक फ़ोटो आयें, ऐसे आग्रह अब होने लगेंगे। लोग एक दूसरे को बतायें-देखो वहां उस मोड़ पर गाड़ी ठुंकती है तो बहुत सही एंगल बनता है। मतलब मेरी गाड़ी शाम साढ़े 5 बजे भिड़ी उस कोने में,पीछे से सन-सेट का बहुत सही सीन था,मैंने दुर्घटनाग्रस्त गाड़ी के साथ सन-सेट की सेल्फी ली। 2000 लाइक आये। ट्रैफिक जाम हो गया। पर मैं 167 सेल्फी लेकर माना।
सही है जो एक्सीडेंट फ़ेसबुक पर फोटोजेनिक न दिखे क्या फायदा उस एक्सीडेंट का।
वक्त बहुत पेचीदा होता जा रहा है, हर घटना, दुर्घटना को इवेंट होना चाहिए, उस पर लाइक होना ही होना।
नहीं तो दुर्घटना का क्या फायदा।
कुछ दिनों बाद यह ना हो कि दुर्घटना से बड़ी दुर्घटना यह मान ली जाये, जहां दुर्घटना हुई थी, वहां टेलीकाम नेटवर्क ही नहीं था, फोटो अपलोड कैसे करते। और सबसे बड़ी परम दुर्घटना तो यह है कि नेटवर्क था, फोटो अपलोड  भी हो गयीं, फिर भी किसी ने ढंग से लाइक ना किया।
अगली बार सोशल मीडिया पर कोई दुर्घटना देखें,तो समझ लें- इस दुर्घटना से जुड़ी दुर्घटनाओं पर भी शोक व्यक्त करना जरुरी है।