सीआईएसएफ ने भारत के हाईब्रिड बंदरगाह सुरक्षा मॉडल को निर्मित करने की शुरुआत की: पात्रता आधार पर निजी सुरक्षा कर्मियों के लिए प्रशिक्षण आरंभ
सीआईएसएफ ने भारत के हाईब्रिड बंदरगाह सुरक्षा मॉडल को निर्मित करने की शुरुआत की: पात्रता आधार पर निजी सुरक्षा कर्मियों के लिए प्रशिक्षण आरंभ

बंदरगाहों के हाईब्रिड सुरक्षा मॉडल के निर्माण की दिशा में एक प्रयास में, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने बंदरगाहों पर तैनात निजी सुरक्षा कर्मियों के लिए अपने पहला विशेष प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू किया है। पात्रता आधारित सुरक्षा प्रशिक्षण (क्यूएसटीपी) 1982 और इसके बाद संशोधित प्राधिकरण (सीएसआरएल) में एक शूल के तहत नई शुरू की गई व्यवस्था है। यह नए हाईब्रिड सुरक्षा मॉडल के निर्माण, बंदरगाह सुरक्षा प्रोटोकॉल के मानकीकरण और भारतीय बंदरगाहों पर अंतरराष्ट्रीय समूह संहिताओं को लागू करने को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत में लगभग 200 छोटे और मध्यम स्तर के बंदरगाह हैं, जिनमें से लगभग 65-68 ही सक्रिय रूप से कार्गो संचालन में लगे हुए हैं। सीआईएसएफ वर्तमान में इन प्रमुख बंदरगाहों की सुरक्षा करता है। वहीं शेष बंदरगाहों पर हाईब्रिड मॉडल लागू करने की दिशा में, जहां निजी कंपनियां सुरक्षा कर्मियों को तैनात करती हैं, वहां भी एक मानकीकृत प्रशिक्षण पाठ्यक्रम विकसित करने की आवश्यकता को समझते हुए, इस मामले पर सभी हितधारकों (बंदरगाह प्राधिकरण, सीमा शुल्क (Customs) विभाग, शिपिंग कंपनियां, माल ढुलाई एजेंट आदि) के साथ विचार-विमर्श किया गया और तत्पश्चात, बंदरगाहों के निजी सुरक्षा कर्मियों के लिए एक पात्रता परिक्षणक पाठ्यक्रम के रूप में यह प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का शुभारंभ करने का निर्णय लिया गया।
दो सप्ताह का “बंदरगाह-सुविधा सुरक्षा पाठ्यक्रम” सीआईएसएफ द्वारा जहाजरानी (Shipping) महानिदेशालय और अन्य हितधारकों के परामर्श से तैयार किया गया है। यह निजी सुरक्षा कर्मियों को बंदरगाह संचालन, खतरे की पहचान और आपातकालीन प्रतिक्रिया की आवश्यक जानकारी देने के साथ पाठ्यक्रम में कानूनी ढांचे, तकनीकी सुरक्षा उपकरणों के उपयोग और अंतरराष्ट्रीय जहाज एवं बंदरगाह-सुविधा सुरक्षा (आईएसपीएस) संहिता के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय मानकों को भी शामिल किया गया है।
सुरक्षा नियमों और प्रक्रियाओं के कार्यान्वयन में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आधारित मॉड्यूल विकसित किए गए हैं। सीआईएसएफ, सीमा शुल्क, समुद्री विभाग और बंदरगाह स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों द्वारा संचालित, यह कार्यक्रम इनकोर के व्यावहारिक अभ्यासों के साथ जोड़ा है, जिससे प्रतिभागियों को सुरक्षा घटनाओं का प्रभावी ढंग से जवाब देने के लिए तैयार किया जाता है।
प्रथम चरण के दौरान, तीन प्रमुख बंदरगाहों - जेएनपीटी शेवा, डीपीटी कांडला और एमपीटी मुंबई के 40 निजी सुरक्षा कर्मियों ने सीआईएसएफ प्रशिक्षण सुविधा, मुंबई में कार्यक्रम में नामांकन कराया है और चार प्रमुख बंदरगाहों - न्यू मंगलौर पोर्ट अथॉरिटी (एनएमपीए), कामराजर पोर्ट लिमिटेड (केपीएल) एन्नोर, चेन्नई पोर्ट अथॉरिटी (सीपीए) और बी.ओ. शिवगंगा पोर्ट अथॉरिटी (बीओएसए) तूतीकोरिन - के 26 निजी सुरक्षा कर्मियों ने सीआईएसएफ प्रशिक्षण केंद्र, चेन्नई में कार्यक्रम में नामांकन कराया है। सीआईएसएफ अगले दो महीने में दोनों तटों के अन्य बंदरगाहों तक पाठ्यक्रम का विस्तार करने की योजना बना रहा है। इस संदर्भ पर श्री पी.एस. सुरेश, अपर महानिदेशक (बंदरगाह), ने कहा: “यह पहल भारत के हाईब्रिड बंदरगाह सुरक्षा मॉडल को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे निजी सुरक्षा कर्मियों को सक्षम बनाने में मदद मिलेगी, जिससे सुरक्षा प्रोटोकॉल में एकरूपता आएगी और अंतरराष्ट्रीय मानकों का बेहतर पालन सुनिश्चित होगा।”
सीआईएसएफ, चेन्नई में उद्घाटन सत्र के दौरान, चेन्नई पोर्ट अथॉरिटी के अध्यक्ष, श्री सुनील पालीवाल ने कहा: “यह सुरक्षा पाठ्यक्रम बंदरगाह सुविधा सुरक्षा प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।” श्री सरनन, महानिदेशक (दक्षिण), सीआईएसएफ दक्षिण खंड मुख्यालय, ने कहा: “बंदरगाहों के जटिल वातावरण के अनुरूप केंद्रित प्रशिक्षण प्रदान करके, हम सुरक्षा कर्मियों को आत्मविश्वास और पेशेवरता के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए सशक्त बना रहे हैं, जिससे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और व्यापार की सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है।”
यह प्रशिक्षण पहल ऐसे समय में आई है जब मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति में समुद्री सुरक्षा संबंधी चिंताएँ बढ़ गई हैं। इस को ध्यान में रखते हुए, देश के बंदरगाहों को अस्थायी रूप से MARSEC स्तर 2 तक उन्नत किया गया था - जिसके लिए कड़ी सतर्कता, उत्तम प्रशिक्षण और सुरक्षा एजेंसियों के साथ सुदृढ़ समन्वय की आवश्यकता थी। इस प्रमुख पहल, बंदरगाह सुविधा सुरक्षा पाठ्यक्रम, ने उसके खतरों के विरुद्ध सुरक्षा क्षमताओं को तैयार करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम रखा है और हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री व्यापार की सुरक्षा में भारत की भूमिका को भी मजबूत करता है।