देह व्यापार और हमारा  सामाजिक दृष्टिकोण 

लोग  चाय की चुस्की लेते  हुए नुक्कड़ों पर इस देह व्यापार पर चर्चा कर रहे हैं। वहीं कई लोग इस खबर पर मजे भी ले रहे हैं । कई लोग ऐसे भी हैं, जो नाक भाव भी सिकोड़ रहे हैं।

देह व्यापार और हमारा  सामाजिक दृष्टिकोण 

पिछले दिनों हजारीबाग नगर से सटे छः नामचीन  होटलों में पुलिस ने छापामारी कर काफी संख्या में देह व्यापार में लिप्त युवक - युवतियों को गिरफ्तार  किया। यह खबर आग की तरह चहुंओर ओर फैल गई। अखबारों ने इस देह व्यापार की खबर को बहुत ही प्राथमिकता के साथ प्रकाशित किया । मीडिया और सोशल मीडिया में भी यह खबर काफी तेज गति से प्रसारित हो रही है। लोग  चाय की चुस्की लेते  हुए नुक्कड़ों पर इस देह व्यापार पर चर्चा कर रहे हैं। वहीं कई लोग इस खबर पर मजे भी ले रहे हैं । कई लोग ऐसे भी हैं, जो नाक भाव भी सिकोड़ रहे हैं। ज्यादातर लोग देह व्यापार के खिलाफ ही अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं । वहीं कई लोग इस देह व्यापार में लिप्त होटल के कर्मचारी, मालिक, मैनेजर, सहित पुलिस पर भी अंगुली उठा रहे हैं । अब सवाल यह उठता है कि क्या देह व्यापार को अन्य अपराधों  की ही श्रेणी में रख  कर इसका विश्लेषण और मूल्यांकन किया जाए ? अगर देह व्यापार को अन्य अपराधों की श्रेणी में रख कर इसका मूल्यांकन और विश्लेषण करेंगे तो यह समस्या और भी जटिल बनती जाएगी। अगर इस देह व्यापार को मानसिक विकृति कहेंगे तो भी शायद उचित नहीं होगा। यौन संबंध एक मानसिक और शारीरिक जरूरत है। इस योन तृप्ति की पूर्ति के लिए लोग देह व्यापार में न चाहते हुए भी लिप्त हो जाते हैं। हजारीबाग के होटलों में देह व्यापार में लिप्त पकड़े गए युवक -  युवतियों हमारे ही समाज के जन  हैं । कल उन सबों के ही कंधों में अपने  अपने घर और समाज की जवाबदेही होगी। अब सवाल यह उठता है कि उन सबों ने ऐसा कदम क्यों उठाया ? इस विषय पर मानसिक और सामाजिक स्तर पर विश्लेषण करना बहुत जरूरी है। तभी हम सब इस समस्या के निराकरण तक पहुंच सकते हैं।
  इस संदर्भ में भारत का कानून का मंतव्य है कि देह व्यापार एक  अपराध है । देह व्यापार अपराध के श्रेणी में आता है। देह व्यापार में दोषी पाए गए लोगों के लिए सजा भी तय है। देह  व्यापार से जुड़े लाखों मुकदमे देश भर के विभिन्न न्यायालयों में चल रहे हैं। इन मुकदमों की संख्या साल दर साल बढ़ती चली जा रही है। इस विषय को लेकर देश भर के कई एनजीओ काम भी कर रहे हैं। लेकिन सरकारी और सामाजिक स्तर पर उन्हें पूर्ण सहयोग नहीं मिलने के कारण देह व्यापार की समस्या बढ़ती ही चली जा रही है । वहीं पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया, जिसमें न्यायालय ने कहा कि अगर  युवक - युवतियां अपने - अपने मनमर्जी से शारीरिक संबंध बनाते हैं, तब ऐसी स्थिति में यह अपराध की श्रेणी में नहीं है। देश का सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि अपने-अपने मनमर्जी से अगर युवक -  युवतियां संबंध बनाते हैं, तो यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। अर्थात यह एक मानसिक और शारीरिक जरूरत है । इसे अन्य अपराधों के श्रेणी रखकर मूल्यांकन और विश्लेषण नहीं किया जा सकता है।
 अब सवाल यह उठता है कि इन होटलों में  देह व्यापार के नाम पर जो कुछ भी हो रहा था, वह अपराध की श्रेणी में आता है अथवा नहीं ? चूंकि  हजारीबाग पुलिस ने सर्वोच्च न्यायालय के उक्त मंतव्य के आधार पर ही देह व्यापार में लिप्त सभी युवक - युवतियों को उनके अभिभावकों को सौंप दिया ।  अब आगे सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है ? देह व्यापार में लिप्त युवक -  युवतियों हमारे ही समाज के जन हैं। कल उनके कंधों पर अपने-अपने घर और समाज की जवाबदेही  होगी। आखिर ये ऐसा क्यों कर रहे हैं ? इस पर समाज को गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।  अगर यह देह व्यापार का अपराध अन्य अपराधों की तरह अपराध होता तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐसा नहीं आया होता। 
  अब आगे  सवाल यह उठता है कि क्या देह व्यापार के  मामले में हजारीबाग  जिला  ही अकेला है ? जैसी कि खबरें आ रही हैं कि इस देह व्यापार के अपराध से झारखंड का कोई भी जिला वंचित नहीं है । आए दिन  रांची  सहित अन्य जिलों से  देह  व्यापार के नाम पर जैसी खबरें आ रही हैं, यह देह  व्यापार बढ़ती ही चली जा रही हैं। यहां यह लिखना जरूरी हो जाता है कि आज से चालीस -  पच्चास साल पहले जब झारखंड एकीकृत बिहार में हुआ करता था।  तब बिहार के कई जिलों में ऐसे मुहल्ले बसे हुए थे , जहां कुछ लोग अपने अपने यौन भूख मिटाया करते थे। हजारीबाग, जहां  देह व्यापार में लिप्त युवक -  युवतियों को गिरफ्तार किया गया।  इस जिले में भी कई ऐसे मुहल्ले बने हुए थे, जहां कुछ लोग अपने अपने यौन भूख मिटाया करते थे। लेकिन समय के साथ ये स्थल अब एक रिहायशी इलाके में तब्दील चुके है । 
  समय के साथ उपरोक्त  यौन तृप्ति केंद्र बंद जरूर हो गए,  लेकिन अब ये केन्द्र एक नए रूप में लोगों के समक्ष आ गए हैं । जहां लड़का - लड़की दोनों अपने आधार कार्ड को होटल में दिखलाकर बड़े ही आसानी के साथ रूम  प्राप्त कर लेते हैं । और अपने शारीरिक यौन भूख को शांत कर लेते हैं । यौन तृप्ति के लिए मसाज पार्लर, पार्लर, क्लबों आदि के नाम पर ऐसे  केंद्र अघोषित रूप से चल रहे हैं। इसे चलाने वाले हमारे ही समाज के लोग हैं। इसमें जाने वाले हमारे ही समाज के लोग हैं। यह व्यापार  देश भर के तमाम बड़े महानगरों में धड़ल्ले के साथ चल रहे हैं।
इस संदर्भ में मैं यह कहना चाहता हूं कि देह व्यापार से संबंधित कई किस्से आज भी प्रचलित है । देह व्यापार कोई आज की समस्या नहीं है बल्कि इससे नाता वर्षों पूर्व  से रहा है। इतिहास गवाह है कि हमारे  राजा महाराजा, मंत्री, सूबेदार और समाज के बड़े लोग अपनी कोठियों में नर्तकियों को बुलाकर यौन  भूख मिटाया करते थे। आज सैकड़ो वर्ष बीत जाने के बाद भी मनुष्य की प्रकृति में कोई बदलाव नहीं आया । शारीरिक भूख मिटाने के लिए लोग कई  तरह के हथकंडे अपनाते रहते थे।  आज समय बदल गया है। देह व्यापार पर कानून भी  सख्त है, लेकिन यह व्यापार और फलता फूलता लता दिख रहा है।  देश के कई बड़े महानगरों में अघोषित रूप से वेश्यालय  चल रहे हैं ।  देह व्यापार  हमारे सामने  एक बड़ी सामाजिक  विकृति के खड़ी दिखाई दे रही है। इसे समझने की जरूरत है । आज हमारे युवक आखिर देह व्यापार की ओर अग्रसर क्यों हो रहे हैं ? इस मनोविज्ञान को समझने की जरूरत है। 
 हमारे  युवक  आखिर इस राह पर क्यों चल पड़े हैं ? इसके लिए कहीं न कहीं हमारा समाज भी कम  दोषी नहीं है । पहले हमारे समाज के युवक - युवतियों की शादी विशेष 20 - 21 सालों में हो जाती थी ।अब शादियां 30 वर्ष की उम्र के बाद होने लगी है।  स्वाभाविक है कि देह   व्यापार जैसी समस्या बढ़ेगी ही। वहीं दूसरी ओर वैज्ञानिक आविष्कारों ने  हमारी दूरियों को जरूर काम कर दिया है । लेकिन आज हर युवक - युवती  के हाथ में चमचमाता हुआ मोबाइल सेट उपलब्ध है। मोबाइल से बातचीत करने तक तो ठीक है।  लेकिन मोबाइल सेट पर उपलब्ध गूगल एवं अन्य साइट्स पर जिस तरह की तस्वीरें  और ब्लू फिल्में उपलब्ध है,  इससे हमारे युवक - युवतियां बुरी तरह प्रवाहित हो रही हैं।  इस मनोविज्ञान को भी समझने की जरूरत है।
 दूसरी ओर जिस देश में नारी की पूजा होती है ? उसे देश की  नारियां ऐसे पेशे में क्यों जा रही हैं । आखिर इन नारियों की समस्या क्या है ?  उनकी परेशानियां क्या हैं ? आज जैसी खबरें आ रही हैं  कि  कॉलेज में पढ़ने वाली कई लड़कियां देह व्यापार लिप्त पाई जा रही हैं। उनकी परेशानियों को समझने की जरूरत है । आखिर ये लड़कियां ऐसा कदम उठाने के लिए विवश हैं। देशभर में ऐसे कई गिरोह का कार्यरत हैं, जो इन लड़कियों को बहला फुसलाकर  इस देह व्यापार के धंधे में ला रहे हैं।  इन गिरोहों के खिलाफ भी बड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है।
   सबसे पहले देह व्यापार में लिप्त युवक -  युवतियों दोनों की परेशानियों को समझने की जरूरत है। यह अन्य अपराध की तरह नहीं है बल्कि मानसिक और शारीरिक जरूरत है। इस आधार पर इसका मूल्यांकन और विश्लेषण किया जाना चाहिए। तभी इस समस्या का निराकरण संभव है। अन्यथा पुलिस छापामारी करती रहेगी और कुछ लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजती रहेगी । इससे समस्या का कोई स्थाई समाधान का मार्ग प्रशस्त नहीं हो सकता है। यह एक  सामाजिक समस्या के रूप में हमारे सामने है, इसका समाधान भी देश की सरकार और समाज के हर वर्ग के लोगों को मिलजुल करने की जरूरत है।