अंतरिक्ष में शुभांशु शुक्ला की उड़ान से गौरवान्वित हुआ भारत

इसरो के चंद्रयान - एक,चंद्रयान - दो और आदित्य एल वन के सफल प्रक्षेपण ने एक इतिहास रच दिया था। बीते कुछ वर्षों से इसरो गगनयान पर काम कर रहा है । गगनयान इसरो के लिए एक बहुत ही महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन है।

अंतरिक्ष में शुभांशु शुक्ला की उड़ान से गौरवान्वित हुआ भारत

41 साल बाद ही सही, एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री के रूप में शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष के लिए उड़ान से संपूर्ण देश गौरवान्वित हुआ  है। 1984 में भारत के लिए एक अंतरिक्ष यात्री के रूप में राकेश शर्मा का अंतरिक्ष में पहली बार प्रवेश हुआ था। अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। इसके साथ ही इसरो लगातार अंतरिक्ष पर समय-समय पर रॉकेट लॉन्च करता चला आ रहा है। इसरो के चंद्रयान - एक,चंद्रयान - दो और आदित्य एल वन के सफल प्रक्षेपण ने एक इतिहास रच दिया था। बीते कुछ वर्षों से इसरो गगनयान पर काम कर रहा है । गगनयान इसरो के लिए एक बहुत ही महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन है। संभवतः 2027 तक गगनयान कुछ अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर अंतरिक्ष की ओर रवाना होगा। नासा और इसरो के संयुक्त तत्वावधान में  एक्सिओम स्पेस द्वारा संचालित यह वाणिज्यिक अंतरिक्ष अभियान भारत के लिए खास महत्व का मिशन है। इस मिशन की सफलता से प्राप्त अनुभव का लाभ गगनयान अंतरिक्ष मिशन को प्राप्त हो पाएगा। 
  इस अंतरिक्ष यान में भारत के सुधांशु शुक्ला के साथ अमेरिका पोलैंड और हंगरी का एक-एक अंतरिक्ष यात्री शामिल है। कई महत्वपूर्ण शोधों से लैस यह अंतरिक्ष  मिशन  शत  प्रतिशत सफल होगा ऐसी संभावना है । खराब मौसम रहने, अंतरिक्ष यान का शत प्रतिशत आंतरिक परीक्षण पूरा करने के निमित्त कई बार इसके प्रक्षेपण की तिथियां बदलती गई थीं। आखिर वह समय 25 जुलाई को आ ही गया, जब यह महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष यान पूरी शिद्दत के साथ समय पर अंतरिक्ष के लिए रवाना हो गया। भारत, अमेरिका, पोलैंड और हंगरी सहित विश्व के तमाम देशों की निगाहें इस अंतरिक्ष मिशन की सफलता पर लगी हुई हैं। चारों अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 14 दिनों तक रहेंगे । इस दौरान चारों अंतरिक्ष यात्री अपने-अपने विभिन्न शोधों के माध्यम से  कई नए वैज्ञानिक शोधों को एक मंजिल तक पहुंचा पाएंगे । अर्थात यह अंतरिक्ष यात्रा कई महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उद्देश्यों की पूर्ति को लेकर शुरू की  गई है। इसरो और नासा के वैज्ञानिकों को पूर्ण विश्वास है कि इस अंतरिक्ष यान पर सवार चारों अंतरिक्ष यात्री अपने अपने मिशन को सफल बनाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ेंगे। चारों अंतरिक्ष यात्रियों को भारत सहित अमेरिका में मुकम्मल ट्रेनिंग दी गई है। सच्चे अर्थ में यह अंतरिक्ष मिशन भारत को एक नहीं ऊंचाई तक ले जाएगा।
  भारतीय वायु सेना के जांबाज अधिकारी सह इस अंतरिक्ष मिशन के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारत सहित विश्व के तमाम अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक प्रेरणा के पुंज बन चुके हैं। इस अंतरिक्ष मिशन की सफलता के लिए देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित देशभर के पक्ष और विपक्ष के नेता गण अपनी ओर से शुभकामनाएं प्रेषित कर रहे ्हैं। लखनऊ में आयोजित  एक कार्यक्रम में जब यह अंतरिक्ष यान फ्लोरिडा से अपने निर्धारित समय पर रवाना हुआ, टीवी स्क्रीन पर यह दृश्य देखकर उनके माता-पिता गदगद हो गए। उन दोनों के आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े थे । शुभांशु शुक्ला के माता-पिता अपने पुत्र की इस उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं। देश भर से उनके माता-पिता को बधाइयां मिल रही हैं।  यह दृश्य देखकर किसी भी माता-पिता को अपने पुत्र पर गर्व हो सकता है।  
  अंतरिक्ष की यात्रा कम जोखिम भरा कार्य नहीं है।  इस कार्य में खतरा ही खतरा है। इन तमाम खतरों को दरकिनार कर शुभांशु शुक्ला ने इस मिशन का चुनाव कर अपने अदम्य साहस का परिचय दिया है। इस अंतरिक्ष मिशन के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारतीय वायु सेना के एक परीक्षण पायलट और इसरो अंतरिक्ष यात्री हैं। वे चार अंतरिक्ष यात्रियों में से पहले हैं, जिन्होंने भारतीय मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष में उड़ान भरी है। एक्सिओम मिशन 4 की  एक आवंटित सीट की कीमत लगभग पांच सौ करोड रुपए का भुगतान भारत सरकार कर रही है। 
  शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 में लखनऊ में हुआ था। वह बचपन से ही कुछ अलग करना चाहता था। जैसे-जैसे वह  बड़ा हुआ अंतरिक्ष को और करीब से जानने की उसकी ललक बढ़ती चली गई। यही ललक आज उसे एक अंतरिक्ष यात्री बना दिया । उन्होंने  अपनी स्कूली शिक्षा सिटी मॉन्टेसरी स्कूल , अलीगंज से पूरी की। 1999 के कारगिल युद्ध से प्रेरित होकर, उन्होंने स्वतंत्र रूप से यूपीएससी एनडीए परीक्षा के लिए आवेदन किया और उसे पास कर लिया । उन्होंने अपना सैन्य प्रशिक्षण पूरा किया और 2005 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से कंप्यूटर विज्ञान में विज्ञान स्नातक की डिग्री हासिल की।  इसके बाद उन्हें फ्लाइंग ब्रांच के लिए चुना गया और भारतीय वायु सेना अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया। जून 2006 में उन्हें फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में भारतीय वायु सेना की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन दिया गया । वे एक अनुभवी परीक्षण पायलट हैं, जिनके पास विभिन्न विमानों में लगभग दो हजार घंटों की उड़ान का अनुभव है। 
 शुभांशु शुक्ला को भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए भारतीय वायु सेना के तहत एक संगठन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन,आईएएम द्वारा 2019 में अंतरिक्ष यात्री चयन प्रक्रिया में शामिल किया गया था। बाद में, उन्हें आईएएम और इसरो द्वारा अंतिम चार में चुना गया था । 2020 में, वह यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में तीन अन्य चयनित अंतरिक्ष यात्रियों के साथ बुनियादी प्रशिक्षण के लिए रूस गए थे। बुनियादी प्रशिक्षण 2021 में पूरा हुआ। इसके बाद वे भारत लौट आए और बैंगलोर में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा में प्रशिक्षण में भाग लिया । इस समयावधि के दौरान, उन्होंने आईआईएससी बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी की डिग्री पूरी की ।  अंतरिक्ष यात्री टीम के सदस्य के रूप में उनका नाम पहली बार आधिकारिक तौर पर 27 फरवरी 2024 को सार्वजनिक रूप से घोषित किया गया था, जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरुवनंतपुरम में इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्री टीम के सदस्यों के नामों की घोषणा की थी।
   हम सबों को यह जानना चाहिए कि नासा, स्पेसएक्स और इसरो के बीच सहयोग से शुरू किए गए इस मिशन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष उड़ान सहयोग को मजबूत करना है। शुभांशु शुक्ला आईएसएस का दौरा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं । वे अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाले चौथे भारतीय मूल के हैं। अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष कक्षा में जाने वाले शुभांशु दूसरे भारतीय हैं। जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा से यह पूछा था कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिख रहा है? तब उन्होंने कहा कि 'सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा। यह अंतरिक्ष की दुनिया का एक अमर वाक्य बन गया। इस बार अंतरिक्ष में  प्रवेश के तुरंत बाद शुभांशु शुक्ला ने कहा कि 'नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियों ! क्या सफ़र है! हम 41 साल बाद एक बार फिर अंतरिक्ष में वापस आ गए हैं। यह एक अद्भुत सफ़र है। हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं । मेरे कंधों पर उभरा हुआ तिरंगा मुझे बताता है कि मैं आप सभी के साथ हूँ। मेरी यह यात्रा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की शुरुआत नहीं है , बल्कि भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है। मैं चाहता हूँ कि आप सभी इस यात्रा का हिस्सा बनें। आपका सीना भी गर्व से चौड़ा होना चाहिए... आइये, हम सब मिलकर भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत करें । जय हिंद ! जय भारत!'