'जंगल राज' की ओर बहुत तेजी के साथ बढ़ता 'हजारीबाग'
बीते एक सप्ताह के दौरान हजारीबाग जिला मुख्यालय में जिस तरह अपराधियों द्वारा रंगदारी मांगने की घटनाएं सामने आई है, हजारीबाग जिले के इतिहास में इस तरह की पहली घटना कही जा सकती है।

कहने को हजारीबाग, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल का मुख्यालय है। लेकिन बीते कुछ वर्षों के दरमियान जिस तेजी के साथ हजारीबाग जिले भर में हत्या, लूट, डकैती, सेंधमारी, चोरी, छिनतई और रंगदारी जैसी आपराधिक घटनाओं में वृद्धि होती चली जा रही है, इससे प्रतीत होता है कि हजारीबाग जिला बहुत तेजी के साथ जंगल राज की ओर बढ़ता चला जा रहा है । हजारीबाग जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन, हजारीबाग की बेहतर विधि व्यवस्था को लेकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं जरूर करते रहे हैं। लेकिन अपराधकर्मी अपने अपने आपराधिक कृतियों के माध्यम से हजारीबाग जिला और पुलिस प्रशासन की बेहतर विधि व्यवस्था की घोषणाओं पर पानी फेर दे रहे हैं । यह बेहद चिंता की बात है। एक के बाद एक जिस तेजी के साथ हजारीबाग में आपराधिक घटनाएं घटित हो रही हैं, यह हजारीबाग जिले को जंगल राज के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है।
बीते एक सप्ताह के दौरान हजारीबाग जिला मुख्यालय में जिस तरह अपराधियों द्वारा रंगदारी मांगने की घटनाएं सामने आई है, हजारीबाग जिले के इतिहास में इस तरह की पहली घटना कही जा सकती है। गत 22 जून को दिनदहाड़े दो अपराधकर्मी मोटरसाइकिल पर सवार होकर हजारीबाग नगर स्थित श्री ज्वेलर्स प्रतिष्ठान के बाहर रिवाल्वर से दनादन सात गोलियां दाग कर चलते बने । संयोग से उक्त प्रतिष्ठान के बाहर मोटे शीशे से कवर रहने के कारण किसी की भी जाने नहीं गईं । अगर शीशा से उक्त प्रतिष्ठान कवर नहीं होता, तब कई लोगों की जाने भी जा सकती थी। इस आपराधिक वारदात के कुछ ही घंटों के बाद एक अपराध कर्मी उक्त आपराधिक घटना की जिम्मेदारी लेते हुए सोशल मीडिया में एक वक्तव्य जारी कर व्यवसायियों को यह धमकी दिया कि मैनेज कर लो। अन्यथा उनकी बात न मानने वाले को जान से हाथ होनी पड़ेगी।
झारखंड अलग प्रांत गठन के पच्चीस साल के इतिहास में यह पहली आपराधिक घटना है, जिसमें एक अपराधकर्मी कोई आपराधिक घटना को अंजाम देने के बाद इसकी जिम्मेवारी ली हो । उक्त अपराधकर्मी का सोशल मीडिया में जारी वक्तव्य वायरल हो गया है। इस आशय की खबर झारखंड सहित अन्य प्रदेशों से प्रकाशित अखबारों में प्रमुखता के साथ प्रकाशित हुआ। देखते ही देखते वह अपराधकर्मी हजारीबाग जिले सहित प्रांत का सबसे कुख्यात खलनायक रूप में सामने उभर कर आ गया। हजारीबाग जिले में कार्यरत सभी किस्म के व्यवसायियों के बीच उक्त अपराधकर्मी का दहशत व्याप्त है। भुक्तभोगी श्री ज्वेलर्स प्रतिष्ठान के मलिक ने सदर थाना में उक्त कांड की प्राथमिकी भी दर्ज कराई। विभिन्न व्यावसायिक संगठनों सहित सभी व्यवसायियों ने इस घटना की तीव्र निन्दा की । व्यावसायिक संगठनों द्वारा देश के प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर झारखंड प्रांत के आला अधिकारियों को पत्र प्रेषित कर उक्त अपराधकर्मी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इसके साथ ही हजारीबाग जिले में कार्यरत व्यवसायियों को पूर्ण सुरक्षा दिए जाने की भी मांग की। उक्त आपराधिक घटना के विरोध में व्यवसायियों ने मशाल जुलूस निकालकर और एक दिन अपनी अपनी दुकानें बंद कर आक्रोश भी व्यक्त किया।
इस आपराधिक कृत्य के एक सप्ताह बीत जाने के बावजूद अभी तक एक भी अपराधी पकड़े नहीं गए हैं। वहीं दूसरी ओर अपराधकर्मियों का मन इतना बढ़ गया है कि नगर के दो अन्य व्यवसायियों को व्हाट्सएप मैसेज और कॉल पर यह मैसेज प्रेषित किए हैं कि 'मरने के लिए तैयार रहो, दो दिन का टाइम है, मैनेज कर लो 10 लाख देकर । श्री ज्वेलर्स में चला, वह ट्रेलर था। तुम लोग तैयार रहना ।' इस तरह की धमकियां मिल रही हैं। इन धमकियों से एक बात खुलकर सामने आती है कि ऐसे अपराधकर्मियों को पुलिस प्रशासन का कोई भय नहीं है। अगर थोड़ा भी पुलिस प्रशासन का भय होता, तो इस तरह के दु:साहस करने का हिम्मत न जुटा पाते। हजारीबाग जिला में कार्यरत व्यवसायियों के समक्ष ऐसे आपराधिक घटनाएं एक चुनौती के रूप में सामने आई हैं। व्यवसायी गण इस चुनौती का मुकाबला कैसे कर पाते हैं ? यह देखना है। वहीं दूसरी ओर यह सूचना मिली है कि जिले में कार्यरत सभी व्यवसायिक संगठन आर पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं । बस ! जरूरत है, पुलिस प्रशासन से अपेक्षित सहयोग की। अगर रंगदारी मांगने की इस तरह की परंपरा पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो यह बहुत ही विकराल रूप धारण कर लेगा। झारखंड में पनप रहे उद्योग - धंधों पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा । जिसका खामियाजा आर्थिक रूप से इस प्रांत को भुगतना पड़ेगा।
ध्यातव्य है कि हजारीबाग में उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त, आरक्षी उपमहानिरीक्षक, उपायुक्त, आरक्षी अधीक्षक, हजारीबाग सदर एसडीओ साहित विभिन्न सरकारी विभागों के जिला एवं प्रमंडल स्तर के प्रधान कार्यालय और आवास निवास स्थान स्थित हैं । अब सवाल यह उठता है कि जब हजारीबाग में प्रमंडलीय स्तर के सभी विधि व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों के सरकारी कार्यालय हैं, इसके बावजूद अपराधकर्मी कैसे अपराध कर आसानी से निकल जा रहे हैं ? क्या हजारीबाग जिले की विधि व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है ? हजारीबाग उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के अंतर्गत हजारीबाग, बोकारो, चतरा, धनबाद, गिरीडीह और रामगढ़ जिले आते हैं। जब हजारीबाग प्रमंडलीय मुख्यालय की विधि व्यवस्था का यह हाल है, तब अन्य पांच जिलों की विधि व्यवस्था का क्या हाल होगा ? इस बात को समझा जा सकता है।
हजारीबाग प्रमंडल में पड़ने वाले छ: जिलों में धनबाद जिले का आपराधिक रिकॉर्ड सबसे ऊपर है। धनबाद के बाद हजारीबाग भी इस आपराधिक रिकॉर्ड पर बहुत तेजी के साथ चल पड़ा है। 2011 के जन गणना के आधार पर हजारीबाग प्रमंडल में एक करोड़ 16 लाख 35 हजार 374 लोग निवास करते हैं। जबकि झारखंड प्रांत की कुल आबादी लगभग 3 करोड़ 74 लाख के आसपास है। अर्थात आधा से कुछ कम आबादी इन छः जिलों में निवास करती हैं। अगर अपराधियों का इसी तरह मन बढ़ता चला गया तो झारखंड से काफी संख्या में छोटे-बड़े उद्योग धंधे और व्यवसायिक प्रतिष्ठान पलायन कर जाएंगे, जिससे प्रांत वासियों को भीषण बेरोजगारी का सामना करना पड़ सकता है।
एक रिकॉर्ड के माध्यम से यह बात खुलकर सामने आती है कि पहले से ही लाखों की संख्या में झारखंड के श्रमिक और महिलाएं देश के उन्य प्रदेशों में मजदूरी और घर की नौकरी करने के लिए बाध्य हैं। जबकि प्रांत की सरकार, झारखंड से श्रमिकों और महिलाओं का पलायन रूके, इस निमित्त राज्य सरकार कई सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर रोजगार से जुड़ी योजनाओं की घोषणा करती रहती है। इसके बावजूद झारखंड से श्रमिकों और महिलाओं का पलायन रुक नहीं पा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि झारखंड में इन श्रमिकों और महिलाओं को काम नहीं मिल पा रहा है । अगर झारखंड की विधि व्यवस्था का यही हाल रहा तो पूरा झारखंड ही एक जंगल राज्य में परिवर्तित हो जाएगा। जहां अपराध कर्मियों का ही शासन चलेगा। हर एक व्यवसायी को इस प्रांत में काम करने के लिए रंगदारी देना पड़ेगा। रंगदारी नहीं देने वाले व्यवसायियों को अपराधियों द्वारा व्यवसाय नहीं करने दिया जाएगा। यह इस प्रांत के लिए बेहद चिंता की बात है।
पिछले दिनों झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, झारखंड और स्पेनिश उद्यमों के बीच औद्योगिक और ऊर्जा के क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए अपने वरिष्ठ सरकारी और उद्योग प्रतिनिधिमंडल के साथ यात्रा भी किए। अगर प्रांत की विधि व्यवस्था का यही हाल रहा तो, ऐसी यात्राओं का कोई लाभ झारखंड प्रांत को मिल नहीं पाएगा। सबसे पहले झारखंड के 24 जिलों की विधि व्यवस्था को ठीक करने की जरूरत है। तभी ऐसी यात्राओं का लाभ झारखंड वासियों को प्राप्त हो पाएगा। इसलिए राज्य के मुख्यमंत्री का दायित्व बनता है कि अगर सच्चे अर्थों में झारखंड में सुशासन लाना चाहते हैं, तो सबसे पहले प्रांत की विधि व्यवस्था को ठीक करने की जरूरत है। हजारीबाग जिले सहित प्रांत के जिन जिलों में भी अपराधी घटनाएं घट रही हैं,उस पर सख्ती के साथ विराम लगाने की जरूरत है। अन्यथा जिस तेजी के साथ हजारीबाग जिले में अपराधकर्मी अपना पांव पसारते चले जा रहे है, कहीं संपूर्ण झारखंड ही जंगल राज में तब्दील न हो जाए ? इसलिए समय रहते पूरी सख्ती के साथ अपराधकर्मियों पर अंकुश लगाने की जरूरत है।