डॉन बनने की चाहत में की डॉन की हत्या, जानिए अतीक के हत्यारों का इतिहास
अतीक़ और अशरफ़ गैंग का सफाया करके प्रदेश में अपने नाम की पहचान बनाना चाहते थे

एफ़आईआर के मुताबिक़, अरुण मौर्य, लवलेश तिवारी और सनी ने मीडियाकर्मियों की भीड़ में मीडियाकर्मी के भेष में अतीक-अशरफ़ की बाइट लेनी शुरू कर दी। अचानक उसी मीडियाकर्मियों की भीड़ से एक ने अपना कैमरा और दूसरे ने माइक छोड़कर अपने हथियार निकाल लिए और उन्होंने अतीक़-अशरफ़ को टारगेट कर अत्याधुनिक अर्ध स्वचालित हथियारों से फ़ायरिंग शुरू कर दी। फायरिंग में अतीक़ और अशरफ़ की मौत हो गई। घटना में एक पुलिसकर्मी मान सिंह के दाहिने हाथ में गोली लगी है। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तीन हमलावरों को लोड हथियारों के साथ पकड़ लिया। हमलावरों का एक साथी अपने ही साथियों की क्रॉस फ़ायरिंग में घायल हुआ। वारदात में समाचार एजेंसी एएनआई के एक पत्रकार को चोट आई है।
पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 302, 307 और आर्म्स एक्ट, 1959 की धारा 3, 7, 25, 27 और आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 1932 के तहत एफ़आईआर दर्ज की है।हमला जिस तरह से हुआ, उससे कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में हमलावर कई बार गोलियां चलाते हैं और उसके बाद पुलिस को सरेंडर करते हुए दिखाई देते हैं।आखिर ये हमलावर कौन हैं? कहां के रहने वाले हैं? इनके पास हथियार कहां से आए? क्या ये कोई सोची समझी साज़िश है? और क्या ये हमलावर पहले भी जेल जा चुके हैं?
हमलावर नंबर 1 – लवलेश तिवारी
अतीक़ हत्याकांड में 22 साल के अभियुक्त लवलेश उत्तर प्रदेश में बांदा के केवतारा क्रासिंग के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम यज्ञ कुमार तिवारी है। क्रॉस फायरिंग में लवलेश को गोली लगी है, जिसका इलाज स्वरूप रानी मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज में चल रहा है। परिवार के मुताबिक चार भाइयों में लवलेश तीसरे नंबर पर हैं। उसने इंटर की पढ़ाई की, फिर बीए में दाखिला भी लिया लेकिन फ़ेल हो गया। लवलेश के पिता ने कहा कि ‘उसका घर से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने बताया कि टीवी पर ख़बरें देखकर वारदात की जानकारी मिली। वह चार-छह दिनों में एक बार घर आता था और नहा धोकर निकल जाता था। घर से उसका कोई मतलब नहीं था। लवलेश के पिता के मुताबिक़, वह जेल भी जा चुका है। पिता बताते हैं, ” एक लड़की को चौराहे पर थप्पड़ मार दिया था। उसका मुकदमा चल रहा है। उस मामले में ये जेल गया था।”लवलेश के छोटे भाई के मुताबिक़, वह जो काम करते थे उसकी जानकारी परिवार को नहीं देते थे। लवलेश की मां का कहना है कि ‘वो संकट मोचन भगवान का भक्त था। पता नहीं नसीब में क्या लिखा था जो ये हुआ।
हमलावर नंबर 2- मोहित उर्फ सनी सिंह
अतीक़ हत्याकांड में पुलिस ने घटनास्थल से 23 साल के सनी सिंह नाम के युवक को भी गिरफ़्तार किया है। सनी, उत्तर प्रदेश में हमीरपुर के कुरारा के रहने वाले हैं. सनी के पिता जगत सिंह की मौत हो चुकी है। सनी के बड़े भाई पिंटू सिंह ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि ‘वह दस बारह साल से हमीरपुर में नहीं रहता है।’ उन्होंने बताया कि वे तीन भाई थे, जिसमें से एक ही मौत हो गई थी।भाई के मुताबिक़, ‘सनी उलटे-सीधे काम करता था, जिसकी वजह से परिवार ने उसके साथ अपना संबंध खत्म कर लिया था।’
हमलावर नंबर 3- अरुण कुमार मौर्या
18 साल का अभियुक्त अरुण मौर्य उत्तर प्रदेश में कासगंज के कातरवाड़ी के रहने वाला है। उनके पिता का नाम दीपक कुमार है। मीडिया से बात करते हुए उनकी चाची लक्ष्मी देवी ने कहा कि ‘वह घर पर कई दिनों से नहीं आया है।’
हत्या की प्लानिंग ?
एफ़आईआर के मुताबिक़, हत्या का उद्देश्य पूछने पर तीनों अभियुक्तों ने बताया, “हम लोग अतीक़ और अशरफ़ गैंग का सफाया करके प्रदेश में अपने नाम की पहचान बनाना चाहते थे, जिसका फायदा हमें भविष्य में मिलता। हम लोग पुलिस के घेरे का अनुमान नहीं लगा पाए और हत्या करके भागने में क़ामयाब नहीं हुए। पुलिस की तेजी से की गई कार्रवाई में हम लोग पकड़े गए। अतीक़ और अशरफ़ की पुलिस कस्टडी रिमांड की सूचना जबसे हमें मिली थी, तबसे हम लोग मीडियाकर्मी बनकर यहां की स्थानीय मीडिया कर्मियों की भीड़ में रहकर इन दोनों को मारने की फिराक में थे।”
तीनों जेल में बने दोस्त
एक अख़बार के मुताबिक़ तीनों हमलावर शातिर अपराधी हैं। तीनों ही हत्या, लूट समेत संगीन आरोप में जेल जा चुके हैं। जेल में ही उनकी आपस में दोस्ती हो गई थी। ये तीनों अतीक़ और अशरफ़ की हत्या करके डॉन बनना चाहते थे। तीनों का मानना है कि छोटे-छोटे अपराध में जेल जाने से उनका नाम नहीं हो रहा था, इसलिए वो कुछ बड़ा करने की सोच रहे थे। तीनों को इसी बीच पता चला कि अतीक़ और अशरफ़ अहमद को पुलिस हिरासत में अस्पताल ले जाया जा रहा है। तीनों ने बड़ा नाम कमाने के मक़सद से हत्या की साजिश रची। तीनों ने हत्या की योजना बनाई थी और शुक्रवार को हमला करने से पहले अस्पताल पहुंचकर रेकी की थी। इसके बाद शनिवार को तीनों ने मीडियाकर्मी बनकर अतीक़ और अशरफ़ अहमद को नज़दीक से गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
अतीक़ अहमद का आपराधिक इतिहास
- अतीक़ अहमद के आपराधिक इतिहास में 100 से भी अधिक मुक़दमे दर्ज हैं।
- मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, साल 1979 में पहली बार हत्या का मुक़दमा दर्ज हुआ। उस वक्त अतीक़ अहमद नाबालिग़ था।
- 1992 में इलाहाबाद पुलिस ने बताया कि अतीक़ के ख़िलाफ़ बिहार में भी हत्या, अपहरण, जबरन वसूली आदि के क़रीब चार दर्जन मामले दर्ज हैं।
- प्रयागराज के अभियोजन अधिकारियों के मुताबिक़, अतीक़ अहमद के ख़िलाफ़ 1996 से अब तक 50 मुक़दमें विचाराधीन हैं।
- अभियोजन पक्ष का कहना है कि 12 मुक़दमों में अतीक़ और उनके भाई अशरफ़ के वकीलों ने अर्ज़ियां दाख़िल की हैं जिससे केस में चार्जेज़ फ़्रेम नहीं हो पाए हैं।
- अतीक़ अहमद बसपा विधायक राजू पाल ही हत्या के मुख्य अभियुक्त थे. मामले की जांच अब सीबीआई के पास थी।
- अतीक़ अहमद 24 फरवरी को हुए उमेश पाल हत्या मामले के मुख्य अभियुक्त हैं।
- उमेश पाल, राजू पाल हत्याकांड के शुरुआती गवाह थे, लेकिन बाद में मामले की जांच संभाल रही सीबीआई ने उन्हें गवाह नहीं बनाया था।
- 28 मार्च को प्रयागराज की एमपीएमएलए अदालत ने अतीक़ अहमद को उमेश पाल का 2006 में अपहरण करने के आरोप में दोषी पाया और उम्र कै़द की सज़ा सुनाई।