अखंड सुहाग के लिए सुहागिनों ने रखा निर्जला तीज व्रत, शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना से गूंजे घर-घर
अखंड सुहाग के लिए सुहागिनों ने रखा निर्जला तीज व्रत, शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना से गूंजे घर-घर

गयाजी।अखंड सुहाग और पति की लंबी आयु की कामना के साथ मंगलवार को सुहागिन महिलाओं ने निर्जला तीज व्रत श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न किया।शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक हर घर में धार्मिक माहौल रहा और परंपरागत अनुष्ठानों की गूंज सुनाई दी।
सुबह स्नान-ध्यान के बाद महिलाओं ने मंदिरों और नदी तटों पर एकत्रित होकर भक्ति गीत गाए और विधि-विधान से पूजन किया। दिनभर मंदिरों में महिलाओं की भीड़ रही। सोलह श्रृंगार से सजी सुहागिनें कथा-श्रवण और पूजा-पाठ में लीन दिखीं। कई परिवारों में महिलाओं ने घर पर ही भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मिट्टी से प्रतिमा बनाकर आराधना की। कुछ घरों में ब्राह्मणों को बुलाकर पारंपरिक विधि से कथा और आरती का आयोजन भी हुआ।कथावाचक अशोक मिश्र बाबा ने तीज व्रत की पौराणिक कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि माता पार्वती ने बचपन से ही भगवान शिव को पति रूप में पाने का संकल्प लिया था। युवावस्था में सहेलियों संग वन में कठोर तपस्या करने के बाद भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को उन्होंने मिट्टी और बालू से शिव प्रतिमा बनाकर व्रत रखा। प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें दर्शन दिए और यह वरदान दिया कि वे हर जन्म में पति-पत्नी रूप में साथ रहेंगे।
व्रत के दौरान सुहागिन महिलाओं ने चौकी पर गणेश, पार्वती और भोलेनाथ की प्रतिमाएं स्थापित कीं। सर्वप्रथम विघ्नहर्ता गणेश जी का पूजन हुआ, तत्पश्चात माता पार्वती को सुहाग का जोड़ा और श्रृंगार सामग्री अर्पित की गई।मौके पर *कुमारी श्रीजा रागिनी* ने कहा कि यह पर्व केवल व्रत और पूजा का नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई और उसकी अनवरत परंपरा का प्रतीक है। वही *खुशी प्रकाश* ने कहा“तीज हमें यह सिखाता है कि जीवन में प्रेम, विश्वास और समर्पण ही संबंधों की असली नींव है। यही धार्मिक-सांस्कृतिक परंपराएं भारत की सांस्कृतिक धरोहर को युगों से अखंड और उज्ज्वल बनाए हुए हैं।”अंत में शिव-पार्वती की आरती के साथ तीज व्रत की पूर्णाहुति की गई और घर-घर में मंगलकामनाओं का माहौल छा गया।