बिहार का चाणक्य कहे जानें वाले प्रशांत किशोर की जन सुराज का आह्वान, बिहार की जनता को मिलेगा नया सम्मान

लालू राज में जंगलराज था, नीतीश राज में अफसरशाही है। इसको खत्म करना जरूरी है : प्रशांत किशोर

बिहार का चाणक्य कहे जानें वाले प्रशांत किशोर की जन सुराज का आह्वान, बिहार की जनता को मिलेगा नया सम्मान

बिहार में अपराधियों के द्वारा भूमी माफियाओं की संगत के अंतर्गत सभी बिहार की जनता का शोषण किया जा रहा है। जिसमें अफ़सर शाही भ्रष्टाचार और कुछ राजनीतिक दल एक दूसरे के सहयोगी रहते हैं।
यह कहीं ना कहीं पूरी तरह से गरीबों और बिहार की जनता के साथ शोषण किया जा रहा है और अफसर साही और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। आने वाले दिनों में बिहार की जनता की यह स्थिति होगी की जिसकी जितनी जनसंख्या होगी वो अपना वर्चस्व दिखाएगा। अपराधियों का मनोबल भी दिनों दिन बढ़ते जा रहा है। इसमें मुख्य रूप से अधिकारी भी संलिप्त है, चाहे वह बिहार सरकार के कर्मचारी हो या गृह मंत्रालय के अधिकारी हो। सरकार को पूरी सक्रियता के साथ सजग और गृह मंत्रालय और पुलिस प्रशासन को हमेशा सतर्क रहना होगा। 
लालू राज में जंगलराज था, नीतीश राज में अफसरशाही है। इसको खत्म करना जरूरी है। उन्होंने आगे बताया कि जल्द ही उनकी पदयात्रा जमुई में शुरू होगी। इस दौरान लोगों तक इन बातों को पहुंचाया जाएगा। वहीं मीडिया ने जब सवाल किया कि आप पर आरोप लग रहा है कि आप बीजेपी की बी टीम है। तब उन्होंने कहा कि थोड़े दिनों में पता चल जाएगा कि कौन ए टीम है और कौन बी टीम।
मीडिया ने पूछा कि यह अभियान राजद को डैमेज करने के लिए है। इस पर प्रशांत किशोर ने कहा कि यह लोग राजद के वह लोग है। जो यह कहते थे कि प्रशांत किशोर कौन है? यह तो बिजनेसमैन है, यह कितना दिन टिकेगा? अब उसी दल के लोग बैठक कर रहे है। पत्र निकाला जा रहा है, भैया छोड़कर मत भागो। लालू में अगर भरोसा है जन सुराज में मत जाओ। वह पत्र हमने नहीं निकाला, या फिर जन सुराज ने नहीं निकाला । पत्र आरजेडी के नेताओं ने निकाला है। मतलब उन लोगों ने यह माना कि तेजस्वी के नाम पर कोई टिकने वाला नहीं है।
वहां भगदड़ मची हुई है। जो लोग बीजेपी के साथ सरकार चला रहे है। वह हमको ए और बी टीम बता रहे है। थोड़े दिन में सब पता चल जाएगा कि कौन ए टीम है कौन बी टीम है।

नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार में सामाजिक-राजनीतिक सोच रखने वाले हर व्यक्ति को पता है कि 2015 में अगर प्रशांत किशोर ने कंधा नहीं लगाया होता तो ना नेता रहते, ना दल होता। ना विचारधारा रहती और ना ही कुछ बोल पाते। 2015 में अगर जदयू को हमने मदद नहीं किया होता तो आज यह लोग कहां रहते। इसका अंदाजा नहीं लगा सकते है। 2015 में अगर जदयू को हमने मदद नहीं किया होता तो बीजेपी इनको रौंद कर खत्म कर चुकी होती। इसी का परिणाम है कि 42 पर आ गए है।

उन्होंने आगे कहा कि यह लिखकर देता हूं कि अगली बार अकेले लड़े, बीजेपी के साथ लड़े या महागठबंधन के साथ। जदयू को 20 सीट भी नहीं आएगा। इन लोगों ने बिहार की जनता के साथ विश्वास घात किया है। कुर्सी पर बैठने के लिए कभी बीजेपी के साथ तो कभी लालटेन के साथ चले जाते है। यह लोग कुर्सी पर बने रहने के लिए कुछ भी करने को तैयार है ।