शब्दवीणा काव्य संगोष्ठी में गूंजे "बुद्ध और युद्ध" पर रचित गीत, अब केवल संवाद नहीं, प्रतिघात हमारा धर्म बने

राष्ट्रीय साहित्यिक-सह-सांस्कृतिक संस्था 'शब्दवीणा' की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ रश्मि प्रियदर्शनी, शब्दवीणा जहानाबाद जिला संरक्षक वरिष्ठ कवि दीपक कुमार

शब्दवीणा काव्य संगोष्ठी में गूंजे "बुद्ध और युद्ध" पर रचित गीत, अब केवल संवाद नहीं, प्रतिघात हमारा धर्म बने

गया। राष्ट्रीय साहित्यिक-सह-सांस्कृतिक संस्था 'शब्दवीणा' की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ रश्मि प्रियदर्शनी, शब्दवीणा जहानाबाद जिला संरक्षक वरिष्ठ कवि दीपक कुमार एवं जिला अध्यक्ष-सह-बिहार प्रदेश साहित्य मंत्री ललित शंकर के दिग्दर्शन में तथा शब्दवीणा जहानाबाद जिला समिति के संयोजन में काव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। बुद्ध पूर्णिमा तथा भारत-पाकिस्तान के मध्य निर्मित युद्ध जैसी परिस्थितियों को आधार बनाकर आयोजित इस काव्यगोष्ठी की अध्यक्षता दीपक कुमार ने की। काव्यगोष्ठी में 'भारत-पाक युद्ध : समस्याएँ और संभावनाएँ, तथा 'महात्मा बुद्ध के विचारों की वर्तमान युग में महत्ता' को ध्यान में रखते हुए दीपक कुमार, ललित शंकर, चितरंजन चैनपुरा, डॉ. अनिल कुमार, रूबी कुमारी, डॉ. रवि शंकर, गौतम पराशर, अरविंद आजान्स’ ने अपनी-अपनी स्वरचित रचनाएँ प्रस्तुत कीं। निर्दिष्ट विषय पर अपने विचार भी रखे। कार्यक्रम में देवांशु दीपक और अमित कैप्टन की भी उपस्थिति रही।

ललित शंकर की "नभ से जयघोष गूंज उठे, धरणी भी लहराये, गर्जन से कम्पित हो पाक, थर-थर-थर थर्राये, संधि नहीं, अब रण होगा, यह निर्णय दोहरायें, वीरों की संतति हैं हम, इतिहास नया रचायें, एवं "अब केवल संवाद नहीं, प्रतिघात हमारा धर्म बने" जैसी ओजमयी पंक्तियों ने सबके मन में देशभक्ति का संचार कर डाला। कवि अनिल कुमार की रचना "शुद्धोधन नंदन परम शुद्ध, हे स्वयंसिद्ध सिद्धार्थ बुद्ध। इस जग का फिर से त्राण करो, जन गण का फिर कल्याण करो। सब रक्तपात को पुनः क्रुद्ध। हे स्वयंसिद्ध सिद्धार्थ बुद्ध" को सबकी सराहना मिली। चितरंजन चैनपुरा की "वंदन बोधगया की धरती, जहाँ बसें जग के स्वामी", रूबी कुमारी की देवी यशोधरा का स्मरण कराती पंक्तियाँ "मेरा पत्र ले हाथों में, पढ़ते ही उत्तर देना। कब आओगे घर वापस, यह भी उसमें लिख देना' सुनकर श्रोता भावों से भर उठे। डॉ रविशंकर की "जब से कन्हैया सुन लेली तोर वंशी धुन" एवं "दीपक कुमार की "रंगरेज़वा, केसर से रंग दे हमर बाना" पर खूब वाहवाहियाँ लगीं।

शब्दवीणा की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने बुद्ध जयंती पर अपनी रचना अरिहंत को समिति के सदस्यों से साझा करते हुए "युद्ध और बुद्ध" को मूल विषय बनाकर आयोजित इस काव्यगोष्ठी हेतु शब्दवीणा जहानाबाद के सभी पदाधिकारियों को हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित कीं। डॉ रश्मि ने कहा "मानव असुर से क्रूर बन, दुष्कृत्य जब करने लगें। सज्जन, अधर्मी दुर्जनों से, काँपने, डरने लगें। जब अवगुणों से युक्त जन, पा पद-प्रतिष्ठा मुदित हों। जब ध्वंस लाने के लिए, विषयुक्त कृतियाँ सृजित हों। तब देख ऐसी दुर्दशा, जो व्यक्ति होता क्षुब्ध है। जो धर्म की रक्षार्थ करता दनुजता से युद्ध है। वह राम है, वह कृष्ण है, अरिहंत, गौतम बुद्ध है।" शब्दवीणा बिहार प्रदेश संरक्षक प्रो. डॉ. सुबोध कुमार झा एवं जिला प्रचार मंत्री अंबुज कुमार ने शब्दवीणा जहानाबाद के सभी पदाधिकारियों को इस आयोजन के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दीं।